Intoxify
Remembering bachchan again today. No, not the senior or the junior one. The orignal one - Harivanshrai Bachchan. His words are resounding in the chambers of my heart, once again today. So, without any words of mine, I would let his words speak it ...
आज सजीव बना लो, प्रेयसी, अपने अधरों का प्याला,
भर लो, भर लो, भर लो इसमें, यौवन मधुरस की हाला,
और लगा मेरे होठों से भूल हटाना तुम जाओ,
अथक बनू मैं पीनेवाला, खुले प्रणय की मधुशाला
3 Comments:
Kya baat hai itna romantic mood... hmmm...iska kya raaz hai..
Raaz.. hmmm .. well its simple... I am intoxicated with the thoughts of .....
सुमुखी तुम्हारा, सुन्दर मुख ही, मुझको कन्चन का प्याला,
छलक रही है जिसमंे माणिक रूप मधुर मादक हाला,
मैं ही साकी बनता, मैं ही पीने वाला बनता हूँ,
जहाँ कहीं मिल बैठे हम तुम़ वहीं गयी हो मधुशाला
So... it is all in my mind.
मैं ही साकी बनता, मैं ही पीने वाला बनता हूँ .. its all in my mind.
Bhul gaya sub kuch...yaad nahi ab kuch....hmn.....
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